मुझे लौटना है
बिल्कुल
तय है लौटना
लेकिन
तुम्हारे पास नहीं
हां, तुम्हारे पास भी नहीं
बिल्कुल नहीं क्योंकि तुम नाम हो
अब मुझे नहीं चाहिए कोई भी नाम
पहचान
जगह
संज्ञा
नहीं चाहिए सर्वनाम
कोई विशेषण
...
यहां तक लौटने की चाहत
खत्म हो रही है मेरी
या के घुटन होने लगी है यहां
या के अब और पाना चाहता हूं
है...! कोई है?
दे सकते हो तुम?
तुम...?
हां, बोलो तुम भी...?
कोई भी... जो सक्षम हो!
बोलो-बोलो-कोई तो हो
देह न अदेह
प्राण से परे
जीवात्मा न परमात्मा
सब भटक रहे हो-मुक्ति के लिए
तुम लोगों से-मुझे क्या मिलेगा बोलो
बोलो-मुझे क्या दोगे?
अब तक मेरी और तेरी चाहतों में
फर्क ही क्या रहा जो
सुकून की आस करुं तुझसे?
या के तुम मुझसे राहत पाओ!
छोड़ो भी सब, छोड़ो भी अब
तुम अपनी जानो-जाना है तो जाओ
वरना लौट जाओ
मुझे जाना है
लौटना है, लौटना है, लौटना है
बस! याद रखना मेरे पीछे आने से भी कुछ ना मिलेगा
आज तक अनुयायियों को संप्रदाय ही चलाने पड़े हैं
सब कुछ जानते अपने देवताओं के झूठ-सच
निभाने पड़े हैं-मंत्र
होमनी पड़ी है आस्थाएं
तुम ऐसा मत करना
मेरे कहे का संप्रदाय मत बनाना
मेरे से आस्था मत जोडऩा
जो खुद को ही नहीं ढूंढ़ पाया
बहुत पहले ही हो चुका है तुम्हारे सामने नंगा
सनद रहे-यह नग्नता साधना नहीं है
तुम भ्रम में मत पडऩा
मैं जानता हूं तुम भ्रम में नहीं, कौतुहल में हो
जानना चाहते हो
मैं
ऐसा हूं या वैसा
मिलेगा जवाब
मैं आऊंगा-बताने
इसीलिए लौटना है मुझे
मांगना है जवाब
दिग से, दिगंत से
मेरे होने के कारक बने उन सभी से
जो कर रहे हैं मेरा इंतजार
मैं जानता हूं
वे बेहद खुश होंगे
वे बुला रहे हैं
तुम इसे मेरी तरह लौटना ही कहना
वे भी इसे लौटना ही समझें तो बेहतर
सुना है
लौटने का कहकर निकले बहुतेरे
आज तक उन तक पहुंचे नहीं हैं
मुझे लौटना है
मुझे लौटना है
मुझे लौटना है
- हरीश बी. शर्मा
बिल्कुल
तय है लौटना
लेकिन
तुम्हारे पास नहीं
हां, तुम्हारे पास भी नहीं
बिल्कुल नहीं क्योंकि तुम नाम हो
अब मुझे नहीं चाहिए कोई भी नाम
पहचान
जगह
संज्ञा
नहीं चाहिए सर्वनाम
कोई विशेषण
...
यहां तक लौटने की चाहत
खत्म हो रही है मेरी
या के घुटन होने लगी है यहां
या के अब और पाना चाहता हूं
है...! कोई है?
दे सकते हो तुम?
तुम...?
हां, बोलो तुम भी...?
कोई भी... जो सक्षम हो!
बोलो-बोलो-कोई तो हो
देह न अदेह
प्राण से परे
जीवात्मा न परमात्मा
सब भटक रहे हो-मुक्ति के लिए
तुम लोगों से-मुझे क्या मिलेगा बोलो
बोलो-मुझे क्या दोगे?
अब तक मेरी और तेरी चाहतों में
फर्क ही क्या रहा जो
सुकून की आस करुं तुझसे?
या के तुम मुझसे राहत पाओ!
छोड़ो भी सब, छोड़ो भी अब
तुम अपनी जानो-जाना है तो जाओ
वरना लौट जाओ
मुझे जाना है
लौटना है, लौटना है, लौटना है
बस! याद रखना मेरे पीछे आने से भी कुछ ना मिलेगा
आज तक अनुयायियों को संप्रदाय ही चलाने पड़े हैं
सब कुछ जानते अपने देवताओं के झूठ-सच
निभाने पड़े हैं-मंत्र
होमनी पड़ी है आस्थाएं
तुम ऐसा मत करना
मेरे कहे का संप्रदाय मत बनाना
मेरे से आस्था मत जोडऩा
जो खुद को ही नहीं ढूंढ़ पाया
बहुत पहले ही हो चुका है तुम्हारे सामने नंगा
सनद रहे-यह नग्नता साधना नहीं है
तुम भ्रम में मत पडऩा
मैं जानता हूं तुम भ्रम में नहीं, कौतुहल में हो
जानना चाहते हो
मैं
ऐसा हूं या वैसा
मिलेगा जवाब
मैं आऊंगा-बताने
इसीलिए लौटना है मुझे
मांगना है जवाब
दिग से, दिगंत से
मेरे होने के कारक बने उन सभी से
जो कर रहे हैं मेरा इंतजार
मैं जानता हूं
वे बेहद खुश होंगे
वे बुला रहे हैं
तुम इसे मेरी तरह लौटना ही कहना
वे भी इसे लौटना ही समझें तो बेहतर
सुना है
लौटने का कहकर निकले बहुतेरे
आज तक उन तक पहुंचे नहीं हैं
मुझे लौटना है
मुझे लौटना है
मुझे लौटना है
- हरीश बी. शर्मा