मरुगंधा के मार्फ़त आप का सामना करने कि कोशिश नए सिरे से है. हालाँकि अंतरजाल की दुनिया में अरसा होने आया है. ब्लॉग www.harishbsharma.com के जरिये संपर्क में हूँ लेकिन शिकायत यह रही की साहित्यिक रचनाएँ नहीं मिल रही. मरुगंधा के माध्यम से अपनी रचनाएँ, रचना प्रक्रिया, विरासत में मिले और समकालीन सृजन पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने के प्रयास में हूँ. वस्तुत: यह सारी कवायद मेरी सक्रियता का पैमाना होगी जो आप की प्रतिक्रियाओं से परिभाषित होंगी...नमस्कार !
Saturday, January 1, 2011
कुछ लोगों पर तो नींद में ही लागू हो गया नववर्ष
कुछ भी तो खास नहीं रहा। कोहरा उतरा और ना शीत लहर कम हुई। पतझड़ भी दूर खड़ा अपनी बारी का इंतजार करता रहा। उसे भी लगा कि इतना तो मैं भी बेशर्म नहीं किफसलें पके नहीं और मैं आ धमकूं। लेकिन नया साल आ ही गया। एकदम दबे पांव। कुछ लोगों पर तो नींद में ही लागू हो गया। ठीक वैसे ही जैसे अंग्रेज आए थे। ईस्ट इंडिया कंपनी के मार्फत। कितनी समानता है ना दोनों में। अब आए तो निभाएंगे। अतिथि देवो: परंपरा में अगाध श्रद्धा रखते हैं। तब भी किया था स्वागत, आज भी बंदनवार सजाएंगे। आओ नववर्ष, हमारे उत्कर्ष के कारण बनो...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
JAI SHREE KRISHNA
ReplyDelete-- नव वर्ष की बहुत बहुत बधाई , मगर हम ने टी वी पे कार्यक्रम देखते हुए नए साल में परवेश किया था , हां! ये बात भी है कि कही नशे में झूमते हुए नए साल में प्रवेश किया , सिर्फ एक सेकंड एक वर्ष को तब्दील कर देता है , ये भी समय कि कीमत है , खैर .. आप साहित्य में अपनी पत्रकारिता में सिरमोर रहे ये कामना करते है ,
जय श्री कृष्णा