LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Saturday, June 5, 2010

राजस्थानी कविता : आमआदमी

जिको नीं जाणै
मांयली बातां
गांव री बेळू ने सोनो
अर पोखरां में चांदी बतावे।
सन् सैंताळिस रै बाद हुया
सुधार गिणावै
नूंवै सूरज री अडीक राखै
अर अंधारो ढोवै।
छापै में छपी खबरां
पढ़ै अर चमकै
बो आम आदमी है।

No comments:

Post a Comment